Electricity क्या है

शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे ये नहीं पता होगा की Electricity क्या है . क्योंकि यह एक ऐसा साधन है जिसके बिना हमारी जिंदगी अधूरी है.

आज लगभग हम हर वक्त बिजली से चलने वाले मशीनों का इस्तेमाल करते हैं चाहे घर हो या ऑफिस में हो. हर जगह कुछ ना कुछ यंत्र जरूर लगे हुए रहते हैं जो बिजली से ही चलते हैं.

आप अनुभव करें चाहे ना करें इसकी जरूरत सबसे ज्यादा होती है. मैं काफी दिनों से ब्लॉगिंग करता हूं लेकिन इतने दिनों के बाद भी मुझे इस टॉपिक पर कभी ख्याल नहीं आया लेकिन जब इसके बारे में ख्याल आया तो मैंने तुरंत यह डिसाइड किया कि इसके बारे में जरूर लिखना चाहिए क्योंकि बचपन से हम अपनी जिंदगी में बिजली का इस्तेमाल करते आ रहे हैं.

आज के इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा कि आखिर करंट किसे कहते हैं और इसका हमारी जिंदगी में क्या महत्व है. इसमें सबसे ज्यादा जो इंटरेस्टिंग बात आती है वह यह है कि आखिर ये बिजली बनाई कैसे जाती हैं, बिजली पैदा करने का तरीका क्या है.

स्कूल में पढ़ने के दौरान जब इस टॉपिक के ऊपर पढ़ाया जाता है सभी को यह काफी इंटरेस्टिंग लगता है. मुझे खुद अपने बचपन के समय में इस टॉपिक पर पढ़ना काफी पसंद था और बिजली बनाने के तरीके को भी जानने की काफी रुचि थी. मेरे अलावा भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें भी बिजली के बारे में जानकारी लेना काफी इंटरेस्टिंग लगता है.

यही वजह है कि आज मैं इस जानकारी के साथ आपके सामने आया हूं ताकि जिन लोगों को यह नहीं पता कि बिजली का हमारी जिंदगी में क्या महत्व है और अगर बिजली ना हो तो हमारी जिंदगी में क्या असर पड़ सकता है. अगर बिजली ना हो तो हम जो इतने उजियारे में रहते हैं वह नहीं रहेगा गर्मी लगती है तो हम पंखा कूलर और एसी ऑन कर लेते हैं वह भी ना होता हमें गर्मी झेलनी पड़ती.

ऐसे ही कई सारे काम है जो हमारी जिंदगी को आसान बनाते हैं और यह बिजली की मदद से ही की जाती है. इतने सारे फायदे हमें सिर्फ एक बिजली की वजह से ही मिलती है और इसके बारे में जानकारी तो जरूर रखनी चाहिए तो चलिए जानते हैं Electricity क्या होता है .

Electricity क्या है

इलेक्ट्रिसिटी ऊर्जा का एक रूप है. इलेक्ट्रिसिटी इलेक्ट्रॉन के प्रवाह (flow) को बोलते हैं. पदार्थ परमाणुओं से बने होते हैं और एक परमाणु में एक केंद्र होता है जिसे नाभिक कहा जाता है. परमाणु इ नाभिक में चार्ज पार्टिकल होते हैं जिन्हे प्रोटॉन कहा जाता है और अनचार्ज पार्टिकल को न्यूट्रॉन कहा जाता है.

एक परमाणु का नाभिक नेगेटिव फॉर्म में चार्ज पार्टिकल से घिरा हुआ होता है जिसे इलेक्ट्रॉन कहा जाता है. इलेक्ट्रॉन का नेगेटिव चार्ज एक प्रोटोन के धनात्मक या  पॉजिटिव चार्ज के बराबर होता है. हर एक परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या आमतौर पर प्रोटॉन की संख्या के बराबर होती है.

जब प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन के बीच संतुलन बल एक बाहरी बल से अपसेट होता है तो एक परमाणु एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर सकता है या फिर खो सकता है. जब इलेक्ट्रॉन एक परमाणु से “खो” जाते हैं, तो इन इलेक्ट्रॉनों की मुक्त गति एक करंट फ्लो पैदा करती है.

बिजली हमारे चारों ओर है हमारे सेलफोन कंप्यूटर लाइट सोल्डरिंग आयरन और एयर कंडीशनर जो हम अक्सर इस्तेमाल में लाते रहते हैं. अगर हमसे दूर भाग ना चाहे तो यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है.

यहां तक कि जब आप बिजली से बचने की कोशिश करते तबीयत पूरी प्रकृति में काम करते हैं अपने बादलों की गर्जन सुनी होगी और उसके साथ-साथ बिजली चमकते अभी आपने देखा होगा.

विद्युत् की इकाई क्या है

बिजली की मूल इकाई किलोवाट घंटा है जिसे हम (kWh) से डेनोटे करते हैं. सरल भाषा में कहें तो 1 घंटे में 1 kW (1000 वाट )इलेक्ट्रिक हीटर द्वारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा की मात्रा 1 kWh होता है.

बिजली का महत्व

बिजली एक नेचुरल फिनोमिना है जो पूरे प्रकृति में होती है और कई अलग-अलग रूप  होती है. इस पोस्ट में हम आज के समय में बिजली इस्तेमाल करते हैं उसके बारे में बात करेंगे. वह चीज जो हमारे इलेक्ट्रॉनिक सामानों को पावर देती है चलने की क्षमता प्रदान करती है. हमें ये यह समझना है कि वायर यानि तार के माध्यम से बिजली पावर सोर्स निकल के कैसे फ्लो करती है और कैसे एलईडी को रोशनी, मोटर को चलने की शक्ति और हमारे संचार उपकरणों को बिजली देती है.

अगर हम बिजली को परिभाषित करें तो इलेक्ट्रिक चार्ज के फ्लो को ही इलेक्ट्रिसिटी कहते हैं. लेकिन बस इतना ही नहीं इस लाइन के पीछे बहुत रहस्य छिपा हुआ है. यह इलेक्ट्रिक चार्ज जो होते हैं वह कहां से आते हैं. और हम इसे कैसे आगे मूव कराते हैं या फ्लो करा सकते हैं और वह कहां फ्लो करते हैं और यह जो चार्ज होते हैं वह कैसे किसी मशीन को चला देते हैं. यह चार्ज मशीनों से आखिर मैकेनिकल काम कैसे करा लेते हैं.

इस तरह के अनेकों सवाल हमारे दिमाग में आते हैं. हो सकता है आप को भी इस तरह के बहुत सारे सवाल पहले से आते हो और आप इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं.

इससे पहले हम ये समझे चुके हैं कि विद्युत् क्या है उसके बाद हमें यह समझना होता है कि मैटर और मॉलिक्यूल यानी कि पदार्थ और अणु क्या होते हैं.

बिजली प्रकृति का एक बुनियादी हिस्सा है और यह ऊर्जा कि हमारे सबसे बड़े पैमाने में उपयोग होने वाले सोर्स में से एक है. हमें दूसरे स्रोतों से भी बिजली मिलती है जैसे कोयला, प्राकृतिक गैस, तेल, परमाणु ऊर्जा दूसरे प्राकृतिक सोर्स यह हमारे लिए अन्य ऊर्जा के स्रोत है.

कई शहरों और कस्बों को झरनों के आसपास में बनाया जाता था जो कि एक मैकेनिकल एनर्जी सोर्स है जिसके गिरने वाले पानी से टरबाइन को चला कर पैदा की जाती है.

100 साल पहले बिजली उत्पादन शुरू होने से पहले घरों को मिट्टी के बने हुए दिए से रोशन किया जाता था. खाने को आइसबॉक्स में ठंडा किया जाता था. और कमरों को लकड़ी से जलने या कोयले से जलने वाले स्टोव से गर्म क्या जाता था.

बिजली कैसे बनती है?

कई सारे लोगों की इसमें बहुत ज्यादा रुचि होती है और जानना चाहते हैं कि आखिर में विद्युत् कैसे बनाई जाती है.

दुनिया में सबसे बड़े आविष्कारों में अगर बिजली को कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा क्योंकि मानव इतिहास में बिजली ही एक ऐसा आविष्कार है जिसकी वजह से इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल चीजों को हम इस्तेमाल कर पाते हैं. और इन चीजों का भी आविष्कार सिर्फ बिजली की वजह से ही हुआ है.

अगर करंट वजूद में आता ही नहीं तो इनका आविष्कार भी नहीं हो पाता. इसीलिए चलिए हम जानते हैं कि आखिर बिजली कैसे बनती है इसका मुख्य सिद्धांत क्या है और यह किस फिनोमेना पर काम करता है.

मैकेनिकल एनर्जी टू इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलने के लिए एक इलेक्ट्रिक जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्रोसेस मैग्नेटिज्म और इलेक्ट्रिसिटी के बीच रिलेशनशिप के आधार पर काम करता है.

एक तार या फिर विद्युत् का सुचालक मैटेरियल किसी मैग्नेटिक फील्ड में मूव करता है तो उस तार में एक इलेक्ट्रिक करंट प्रवाह होता है. जहां पर बिजली पैदा की जाती है.

वैसे प्लांटों में बड़े जनरेटर का उपयोग किया जाता है. इन जनरेटर में एक स्थिर कंडक्टर होता है. रोटेटिंग शाफ्ट के अंत से जुड़ा एक मैग्नेटिक स्टेशनरी कंडक्टर रिंग के अंदर स्थित होता है जिस पर लंबा कंटीन्यूअस तार लिपटा हुआ होता है.

जब चुंबक घूमता है तो यह तार के प्रत्येक सेक्शन में इलेक्ट्रिसिटी फ्लो को इंड्यूस करता है.

तार के प्रत्येक सेक्शन में एक छोटा अलग इलेक्ट्रिसिटी कंडक्टर होता है. हर सेक्शन में जो छोटे-छोटे करंट बनते हैं वह एक करंट के रूप में बहुत बड़े हो जाते हैं और इसी करंट का उपयोग हम इलेक्ट्रिक पावर के रूप में करते हैं.

बिजली पैदा करने के तरीके:

यह तो एक मुख्य सिद्धांत है जिसके आधार पर बिजली पैदा की जाती है लेकिन बिजली बनाने के कई स्रोत हैं जो बिल्कुल अलग अलग तरीके से काम करते हैं.

यह हर स्थान पर वहां पर उपलब्ध स्रोतों के आधार पर निर्भर करता है कि पावर का उत्पादन कैसे किया जाए. तो इन्हीं चीजों के आधार पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि विद्युत् का उत्पादन करने के कौन-कौन से तरीके से और कौन-कौन से स्रोतों की मदद से किया जाता है.

Electricity

1. टरबाइन

अगर देखा जाए तो मुख्य रूप से हाइड्रोलिक सिस्टम के बुनियादी दो प्रकार हैं जो विद्युत् का उत्पादन करते हैं. पहले सिस्टम में बांधों के उपयोग से निर्मित जलाशयों में बहता पानी जमा होता है.

पेनस्टॉक नामक एक पाइप के माध्यम से गिरता है और टरबाइन ब्लेड घूमने के लिए दबाव देता है ताकि करंट का उत्पादन करने के लिए जनरेटर चलाया जा सके. दूसरे सिस्टम में इसका नाम रन ऑफ रिवर रखा गया है नदी का बल जिसे टरबाइन ब्लेड प्रेशर बनता और यह जनरेटर को घुमाकर बिजली पैदा करता है.

बड़े पैमाने पर जो विद्युत का उत्पादन किया जाता है वह टरबाइन की मदद से किया जाता है.

जिन क्षेत्रों में बड़ी बड़ी नदियां होती है तो वहां पर बांध बनाकर एक डैम बनाया जाता है और पानी जमा किया जाता है और फिर एक ऊंचे स्थान से उस पानी को टरबाइन पर गिराया जाता है जिससे टरबाइन पर उपस्थित पेडल पर पानी गिरता है और पेडल पर पानी गिरने से उससे जुड़ा विल होता है जिसे हम चक्के के नाम से जानते हैं वह घूमने लगता है.

इस चक्के से जुड़ा जेनरेटर काम करना शुरू कर देता है. इस तरह 1 तरीके से विद्युत् पैदा की जाती है. टरबाइन जो होते हैं तरल पदार्थ और गैस की वजह से काम करता है. टरबाइन को हवा यह बहते पानी से चलाया जाता है.

पानी के अलावा गैस के रूप में भाप का इस्तेमाल भी टरबाइन को चलाने के लिए किया जाता है. यहां पर पानी को भाप बनाने के लिए कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम की मदद से गर्मी पैदा की जाती है और पानी को उबालकर भाप तैयार किया जाता है जो टरबाइन को चलने के लिए ऊर्जा देती है.

2. न्यूक्लियर पावर

न्यूक्लियर पावर एक ऐसा तरीका है जिसमें न्यूक्लीयर विखंडन की प्रक्रिया के जरिए से पानी को गर्म करके भाप का प्रोडक्शन किया जाता है. परमाणु ऊर्जा प्लांट में एक रिएक्टर में परमाणु ईंधन का एक कोर होता है.

जो मुख्य रूप से समृद्ध यूरेनियम होता है. जब यूरेनियम ईंधन के परमाणु इलेक्ट्रॉन से टकराते हैं तो वे विभाजन करते हैं जिससे गर्मी और अधिक न्यूट्रॉन निकलते हैं.

Nuclear-Power

अनियंत्रित परिस्थितियों में यह दूसरे न्यूट्रॉन अधिक परमाणु को विभाजित कर सकते हैं और परमाणुओं को विभाजित करते रहते हैं इस तरह एक चैन रिएक्शन चालू हो जाता है जो गर्मी पैदा करती रहती हैं.

गर्मी का उपयोग पानी को भाप में  बदलने के लिए किया जाता है. जो बदले में एक टरबाइन को घुमाता है जिससे बिजली पैदा करती है.

अगर वर्तमान समय में देखा जाए तो जो पावर उत्पादन के अन्य तरीके हैं उनमें न्यूक्लियर एनर्जी का योगदान बढ़ता जा रहा है जिससे प्राकृतिक संसाधन जैसे कोयले और पेट्रोल की खपत कम की जा रही है जिससे इनका उपयोग दूसरे उद्देश्यों के लिए किया जा सके.

3. जियो थर्मल पावर

जियो थर्मल पावर पृथ्वी के सतह के नीचे दबी ऊष्मा ऊर्जा से आती है. देश के कुछ क्षेत्रों में, मैग्मा, पृथ्वी की क्रस्ट के नीचे पिघला हुआ पदार्थ, पृथ्वी की सतह के करीब प्रवाहित होता है जो भूमिगत जल को भाप में बदल सकता है. जिसे भाप टरबाइन सिस्टम में उपयोग के लिए चुना जाता है.

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सौर ऊर्जा सूरज की गर्मी से मिलती है. हालांकि सूरज की ऊर्जा हमेशा उपलब्ध नहीं होती है और यह बड़े व्यापक रूप से फैली हुई होती है.

ऊर्जा का उपयोग करके करंट का उत्पादन करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया ऐतिहासिक रूप से पारंपरिक जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने की तुलना में अधिक महंगी है.

फोटोवोल्टिक कन्वर्जन के द्वारा सूरज से आ रही रोशनी से सीधे एक फोटोवोल्टिक बिजली पैदा करता है. सौर थर्मल टरबाइन को चलाने के लिए भाप का उत्पादन करने के लिए सूरज से रोशनी मिलती है उस ऊर्जा का उपयोग करते हैं.

4. विंड पावर – पवन ऊर्जा

जब हवा का उपयोग करके उससेपावर पैदा की जाती है तो उसे विंड पावर या फिर पवन ऊर्जा कहते हैं. आम तौर पर यह विद्युत् उत्पादन का एक महंगा स्रोत है. इसमें बहने वाली हवा के माध्यम से पंखों को घुमाया जाता है जोकि जनरेटर से जुड़ा हुआ होता है और उस से इलेक्ट्रिसिटी को पैदा किया जाता है.

Wind power

यह उन्हीं क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाता है जहां सालों भर अच्छी हवाएं चलती हैं. इसका उपयोग इसीलिए हर जगह नहीं किया जा सकता है. विंड पावर सिस्टम को लगाने में भी काफी पैसे खर्च होते हैं लेकिन यह प्राकृतिक रूप से काफी अच्छा और प्रदूषण रहित तरीका है.

5. बायोमास

लकड़ी, नगर पालिका द्वारा इकट्ठा किए गए फोर्स कचरा और खेती में बचने वाले अपशिष्ट पदार्थ, जैसे मकई के गोले और गेहूं के भूसे पावर उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इसलिए इन्हें भी ऊर्जा स्रोत के रूप में जाना जाता है.

Biomass plant AKV Technical

यह स्रोत बॉयलर में जीवाश्म ईंधन की जगह लेते हैं. लकड़ी और कचरे को और फिर पानी को भाप में बदला जाता है. पारंपरिक भाप इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम में उपयोग किया जाता है.

जनरेटर द्वारा पैदा की जाने वाली विद्युत् के माध्यम से एक ट्रांसफार्मर में जाती है. कम वोल्टेज से ऊंचे वोल्टेज तक करंट को बदलती है. हाई वोल्टेज का उपयोग करके करंट को लंबी दूरी एफिशिएंसी के साथ ट्रांसफर किया जा सकता है.

ट्रांसमिशन लाइन का उपयोग पावर को सब स्टेशन तक ले जाने के लिए किया जाता है. सब स्टेशन में ट्रांसफार्मर होते हैं जो हाई वोल्टेज करंट को कम वोल्टेज करंट में बदलते हैं. सब स्टेशन से डिस्ट्रीब्यूशन लाइने पावर को घरों ऑफिस और कारखानों में ले जाती हैं जिन्हें कम वोल्टेज करंट की आवश्यकता होती है.

संक्षेप में

आज के पोस्ट में आप ने जाना कि बिजली क्या है (What is Electricity in hindi) और बिजली कैसे बनती है. आज के आधुनिक समय में हम हर वक्त विद्युत पर निर्भर रहते हैं.

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